उत्तर प्रदेश ड्रग कंट्रोलिंग एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत से जुड़ी दवा कंपनी मैरियन बायोटेक का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उत्तर प्रदेश के सहायक आयुक्त संदीप कुमार चौरसिया ने कहा, “नमूने में मिलावट पाए जाने के बाद जांच शुरू की गई थी। हमने लाइसेंस रद्द कर दिया है। नोएडा के बाहर किसी भी संयंत्र में उत्पादन नहीं होगा।”
लाइसेंस रद्द करने का फैसला सीडीएससीओ और राज्य के स्वास्थ्य नियामक ने सर्वसम्मति से लिया। नोएडा पुलिस ने तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है और दो निदेशकों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है.
मैरियन बायोटेक के 36 में से 22 नमूनों में एथिलीन ग्लाइकॉल की मिलावट पाई गई, जो उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से जुड़ा पदार्थ है। मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द करने की रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को भी भेजी गई है।
दरअसल नोएडा की इस दवा कंपनी के कफ सिरप DOK-1 MAX में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल केमिकल मिलाया जा रहा था. भारत समेत कई देशों में इस केमिकल पर बैन है।
इसका उपयोग चाशनी को तीखा और स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। यह खुलासा चंडीगढ़ लैब से सिरप के सैंपल की रिपोर्ट में हुआ है। सिरप के 22 अलग-अलग सैंपल ड्रग टेस्ट में फेल हो गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
मामला तब सामने आया जब 27 दिसंबर 2022 को दूतावास से जानकारी मिली। अगले दिन यानी 28 दिसंबर 2022 को फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के महानिदेशक उदय भास्कर ने मैरियन बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सचिन जैन को एक ईमेल भेजा।
इस मेल में उन्होंने उज्बेकिस्तान में 2 महीने में 18 बच्चों की मौत की जानकारी दी थी. खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मामले को संज्ञान में लिया है और जांच कर रहा है।