नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस की टिप्पणी का उद्देश्य भारत की छवि को गलत तरीके से पेश करना और उसके लोकतंत्र को कमजोर करना है. ईरानी ने गुरुवार को एक इवेंट में अरबपति निवेशक पर यह कहते हुए निशाना साधा कि हिंडनबर्ग-अडाणी विवाद भारत में एक लोकतांत्रिक पुनरुत्थान को बढ़ावा दे सकता है.
ईरानी ने मीडिया को बताया, “जिस व्यक्ति ने बैंक ऑफ इंग्लैंड को तोड़ा, एक व्यक्ति जिसे आर्थिक युद्ध अपराधी के रूप में नामित किया गया है, उसने अब भारतीय लोकतंत्र को तोड़ने की इच्छा व्यक्त की है. जॉर्ज सोरोस, जो कई देशों के खिलाफ दांव लगाते हैं, उन्होंने अब भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अपने बुरे इरादों की घोषणा कर दी है.” ईरानी ने कहा, सोरोस ने 1992 में ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ सट्टेबाजी करके 1 बिलियन डॉलर कमाने के बारे में जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि सोरोस एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो उनकी “नापाक योजनाओं” की सफलता सुनिश्चित करने के लिए लचीला हो. ईरानी ने आरोप लगाया, “उन्होंने विशेष रूप से पीएम मोदी जैसे नेताओं को टारगेट करने के लिए एक बिलियन डॉलर से अधिक की फंडिंग की घोषणा की है, जो कि काफी महत्वपूर्ण है.”
गुरुवार को जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अथॉरिटेरियनिज़म और जलवायु परिवर्तन के बारे में बोलते हुए सोरोस ने अडाणी संकट पर भी चर्चा की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेशी निवेशकों के सवालों का जवाब देना होगा.