भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नाराज नेता पंकजा मुंडे को झटका देते हुए जीएसटी विभाग ने उनके नियंत्रण वाली एक चीनी फैक्ट्री पर छापेमारी की है। खबर है की टीम ने 19 करोड़ रुपये के जीएसटी बकाया की वसूली के लिए कुछ संपत्ति जब्त की है। कार्रवाई और फैक्ट्री परिसर की संभावित कुर्की पर नाराजगी जताते हुए पंकजा मुंडे ने कहा कि कोई हेराफेरी नहीं हुई है और उनकी फैक्ट्री कई वर्षों से वित्तीय संकट से गुजर रही थी।
खबर के अनुसार, जीएसटी टीम ने पहले बीड में वैद्यनाथ सहकारी चीनी फैक्ट्री को नोटिस भेजा था। लेकिन नोटिस को नजरअंदाज किया गया, जिसके बाद जीएसटी अधिकारियों ने निरीक्षण के लिए सोमवार को फैक्ट्री का दौरा किया। यह फैक्ट्री कई महीनों से वित्तीय समस्याओं के कारण बंद है।
दिलचस्प बात यह है कि यह घटनाक्रम अमित शाह की मुंबई यात्रा (शनिवार) के दो दिन बाद और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा के मंगलवार को महाराष्ट्र दौरे से एक दिन पहले हुआ, जिससे पार्टी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे के समर्थकों को झटका लगा है।
पंकजा मुंडे ने दावा किया कि कई चीनी मिलों ने केंद्र के सहकारिता विभाग से सहायता मांगी थी, लेकिन उनकी फैक्ट्री को इससे बाहर रखा गया था और लेटेस्ट कार्रवाई कथित तौर पर ‘ऊपर’ के आदेश पर थी। इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी नोटिस में आंकड़े ब्याज से संबंधित हैं और वसूली प्रक्रिया कुछ महीने पहले शुरू हुई थी जिसके लिए वे जीएसटी अधिकारियों के साथ सहयोग कर रही हैं।
पंकजा ने कहा कि फैक्ट्री 2011 से घाटे में है। 250 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसमें से 52 करोड़ रुपये चुका दिए गए… हमारी संपत्तियां गिरवी हैं और हमने सरकार से मदद मांगी थी, लेकिन यह एकमात्र चीनी फैक्ट्री है जिसे मदद नहीं मिली। उन्होंने आश्चर्य जताया कि कब तक यह सब सहन करते रहेंगे और कहा कि अगर केंद्र ने सहायता दी होती तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने मुंडे के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि इससे पता चलता है कि बीजेपी पुराने वफादारों के साथ कैसे अन्याय करती है।दरअसल साल 2019 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद पंकजा मुंडे को हाशिये पर धकेल दिया गया है। उनके सहयोगियों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और विनोद तावड़े के साथ उनकी भविष्य की राजनीतिक चाल और रणनीति पर सवाल पूछे जा रहे हैं।