देश के 80 फीसदी हिस्से में बीजेपी का अस्तित्व नहीं:शरद पवारदेश के 80 फीसदी हिस्से में बीजेपी का अस्तित्व नहीं:शरद पवार

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The Nationalist Congress Party (NCP) chief, Sharad Pawar looks on during a press conference in Mumbai, India on 06 November 2019. (Photo by Himanshu Bhatt/NurPhoto via Getty Images)

कुमार मोरे

महाराष्ट्र में नासिक क्षेत्र हमेशा से शरद पवार के दिल के नजदीक रहा है। यह अंगूरों का इलाका है, किसान बहुल क्षेत्र है, जो लंबे समय से एनसीपी के समर्थक रहे हैं। इसी इलाके से शरद पवार ने एक प्रोजेक्ट शुरु यह जानने के लिए शुरु किया था कि देखें कि क्या किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकार के चंगुल से निकलकर क्या उद्यमी बन सकते हैं या नहीं। शरद पवार ने किसानों को अंगूरों का निर्यात करने को उत्साहित किया और दुनिया भर में नासिक के अंगूरों की धाक जम गई।

किसानों ने भी शरद पवार को निराश नहीं किया। जब 1980 के दशक में जब शरद पवार के सभी विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया था और सिर्फ 6 विधायक ही उनके साथ बचे थे, तो शरद पवार ने यहीं से कांग्रेस (समाजवादी) का पुनर्निर्माण शुरु किया। और यहां से शरद पवार को जबरदस्त कामयाबी हासिल हुई।

अब नासिक को एनसीपी की सबसे सुरक्षित क्षेत्रों में गिना जाता है। और जब छगन भुजबल अन्य जगहों से दो चुनाव हार गए तो शरद पवार ने उन्हें नासिक जिले की येओला सीट से मैदान में उतारा। छगन भुजबल ने जब 1991 में शिवसेना छोड़ी थी तो उस समय वे मुंबई की मझगांव सीट से विधायक थे, लेकिन बाल ठाकरे का साथ छोड़ने के बाद वे शहर में कभी जीत हासिल नहीं कर पाए। तभी पवार ने भुजबल को येओला सीट दी थी। लेकिन अब भुजबल ने ही अपने दूसरे राजनीतिक गुरु की पीठ में छुरा घोंपा है। जिस तरह 1991 में बाल ठाकरे ने तय कर दिया था कि भुजबल को किसी हाल मुंबई से नहीं जीतने देना है, शरद पवार भी अब उसी संकल्प में दिख रहे हैं।

एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद शरद पवार ने सतारा में दलित, आदिवासी और पिछड़े तबकों से मुलाकातें कीं। रिपोर्ट्स की मानें तो यह बैठकों बहुत कामयाब रहीं। इन तीनों तबकों को भुजबल का असली वोट बैंक माना जाता रहा है, क्योंकि वे खुद पिछड़े समुदाय से आते हैं। नासिक में भी पवार की किसानों के बीच मौजूदगी काफी चर्चा में हैं। यहां पवार ने किसानों के सामने हाथ जोड़ते हुए माफी मांगी कि उन्होंने गलत प्रतिनिधि (भुजबल) को यहां भेज दिया था। पवार ने कहा, “अब ऐसी गलती नहीं होगी।”

पवार ने यहां सिर्फ भुजबल पर ही निशाना नहीं साधा। उन्होंने प्रफुल पटेल को भी निशाने पर लिया। पटेल लगातार कह रहे हैं कि एनसीपी एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर कोई मान्यता नहीं रह गई है। शरद पवार पर इसी को याद दिलाते हुए कहा, “अगर पार्टी अमान्य है तो फिर कैसे मेरी गैरकानूनी पार्टी के नाम पर लोगों की नियुक्ति कर रहे हैं।” उन्होंने प्रफुल पटेल से सीधा सवाल किया कि विधायक या अदालतें यह फैसला नहीं करेंगी, बल्कि जनता इसका फैसला करेगी कि असली एनसीपी कौन सी है।

शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल की उस बात का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता को लेकर सवाल उठाया था। पवार ने कहा कि देश के 80 फीसदी हिस्से में तो बीजेपी है ही नहीं, इसीलिए बीजेपी 2024 के चुनाव को लेकर घबराई हुई है, इसी घबराहट और डर के कारण ही वह विपक्षी दलों को तोड़ने की साजिश रच रही है। पवार ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के लिए यह तरीका बहुत खतरनाक है।

पवार ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की 18 राजनीतिक दलों के नेता पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में शामिल थे। हालांकि हर पार्टी की तरफ से एक प्रस्ताव था, लेकिन एक बात पर सभी सहमत थे कि एकता तो होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में कुछ मतभेद भी थे, लेकिन ऐसा होना कोई गलत बात नहीं है। पवार ने कहा कि हर किसी ने एकमत से साथ रहने का फैसला लिया और इसीलिए अब अगली बैठक 17 जुलाई को बेंग्लुरु में होने वाली है जहां आगे कि रणनीति पर चर्चा होगी।

जब पवार से सवाल पूछा गया कि वे किसके खिलाफ लड़ाई लड़ेगें तो उन्होंने कहा कि, “मैं पार्टी में कोई संघर्ष नहीं पैदा करना चाहता। मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जिससे परस्पर संघर्ष गहराए।” उन्होंने कहा कि अगर कोई पार्टी छोड़ने के फैसले पर फिर से विचार करना चाहता है, तो उसे वापस बुलाने का कोई औचित्य नहीं है। (with thanks)

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