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सुप्रीम कोर्ट 17 फरवरी को अडानी मामले पर सुनवाई करेगा, कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट यूएस-आधारित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आधार अडानी समूह के खिलाफ जांच की मांग वाली कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर की याचिका पर 17 फरवरी को सुनवाई के लिए सहमत हुआ। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पोर्ट-टू-पावर समूह ने गलत तरीके से अपनी कंपनियों के शेयरों की कीमतों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है। मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष उल्लेख किया गया था। CJI शुरू में इसे 24 फरवरी को सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हुए।हालांकि, वकील ने बताया कि इसी तरह के दो अन्य मामले 17 फरवरी को सूचीबद्ध हैं। फिर CJI ने याचिका को अन्य दो याचिकाओं के साथ टैग करने पर सहमति व्यक्त की। याचिका में अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में 3200 रुपये प्रति शेयर की दर से कथित रूप से “भारी मात्रा में सार्वजनिक फंड” का निवेश करने के लिए जीवन बीमा निगम और भारतीय स्टेट बैंक की भूमिका की जांच की मांग की गई है, जब बाजार की मौजूदा दर सेकेंडरी मार्केट में शेयर करीब 1800 रुपये प्रति शेयर था।याचिका कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर द्वारा दायर की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि गौतम अडानी और उनके सहयोगियों ने लोगों के लाखों करोड़ ठगे हैं। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक सिटिंग जज की देखरेख और निगरानी में सीबीआई, ईडी, डीआरआई, सेबी, आरबीआई, एसएफआईओ आदि जैसी जांच एजेंसियों द्वारा जांच की मांग की है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में दो अन्य जनहित याचिकाओं पर विचार कर रहा है, जिसमें शॉर्ट-सेलिंग के जरिए शेयर बाजार को नुकसान पहुंचाने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ जांच की मांग की गई है।याचिकाओं पर विचार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को भारतीय निवेशकों को इस तरह के बाजार की अस्थिरता से बचाने के बारे में चिंता व्यक्त की थी और नियामक तंत्र को मजबूत करने पर केंद्र सरकार और सेबी के विचार मांगे थे। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने नियामक ढांचे की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का भी सुझाव दिया था। कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया था कि वह सेबी या अन्य प्राधिकरणों की भूमिका पर कोई संदेह नहीं कर रहा है।भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को सूचित किया था कि विशेषज्ञ समिति बनाने के सुझाव पर केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, समिति के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि मौजूदा नियामक ढांचे में किसी भी अपर्याप्तता के बारे में अंतरराष्ट्रीय या घरेलू निवेशकों को कोई प्रभाव न पड़े। एसजी ने यह भी कहा कि यह उचित है कि केंद्र सरकार समिति के सदस्यों के नामों को सीलबंद लिफाफे में रखकर सुझाव दे। केंद्र के शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि सेबी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। पीठ ने एसजी को निर्देश दिया कि वह बुधवार तक समिति के सुझाए गए रेमिट पर एक नोट पेश करें और मामले को शुक्रवार तक के लिए पोस्ट कर दिया। डॉ. ठाकुर द्वारा दायर याचिका में अडानी समूह के खिलाफ कदाचार के कई आरोप लगाए गए हैं। याचिका के अनुसार, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि गौतम अडानी और उनके भाई और उनके सहयोगियों ने विभिन्न टैक्स हेवन में स्थापित विभिन्न शेल कंपनियों का उपयोग करके भारी मात्रा में मनी लॉन्ड्रिंग किया है। याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि क्या एलआईसी और एसबीआई अडानी समूह की कंपनियों में निवेश करके निवेशकों और आम लोगों के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे हैं। याचिकाकर्ता महिला कांग्रेस, मध्य प्रदेश की महासचिव का पद संभाल रही हैं। उनका कहना है कि उनका खुद एलआईसी में कुछ निवेश है और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उनका खाता है।

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