कविता

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नूतन वर्ष 2023 का नव प्रभात

नूतन वर्ष का नवप्रभात उतरे जब आंगन में। 

नई चेतना संचारित हो भारत के जन-जन में।।

 सूरज जितना चमक रहा है उतना ही हम चमके। 

अंधियारा जब हो धरती पर चंदा बनकर दमके।।

गुजरे साल हुए जो असफल और हुए जो लोग निराश।

उनको देना बड़ी सफलता ध्वस्त न हो जीवन की आस ।।

नया साल सबके जीवन में आए बारम्बार। 

और प्रभु की सब भेंटों का करे व्यक्त आभार।। 

बड़ो को देना भारी भेंटे छोटों को अद्भुत उपहार।

 राशिद जुगनू की अभिलाषा रहे अमन से ये संसार।। 

राशिद जुगनू , शाहजहांपुर

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