Homeख़बरेंअगर शादियों में गाना-बजाना और नाच-गाना होगा, तो वो निकाह नहीं पढ़ाऐंगे

अगर शादियों में गाना-बजाना और नाच-गाना होगा, तो वो निकाह नहीं पढ़ाऐंगे

बुलंदशहर. बुलंदशहर जिले के मौलवियों ने घोषणा की है कि अगर शादियों में गाना-बजाना और नाच-गाना होगा, तो वो निकाह नहीं करवाएंगे। उलेमाओं और मौलवियों की एक सभा को संबोधित करने के बाद काजी-ए-शहर मौलाना आरिफ काजमी ने कहा, अगर शादी में डीजे, गाना और नाच होता है, तो हम निकाह नहीं करवाएंगे।

उन्होंने बाद में कहा कि, शादियों में गाना और नाचना इस्लामी संस्कृति का हिस्सा नहीं है और इसमें काफी पैसा भी खर्च होता है। उन्होंने कहा कि, उलेमा मुस्लिम समाज को सामाजिक बुराइयों से मुक्त करना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लड़की पक्ष को अतिरिक्त वित्तीय बोझ न उठाना पड़े।

‘अगर हुआ नाच-गाना, तो नहीं होगा निकाह’

यह कोई पहली बार नहीं है जब उलेमाओं या मौलवियों ने इस प्रकार का कोई विरोध दर्ज किया हो. इससे पहले भी ऐसा ही कुछ रामपुर में देखने को मिला था, जब रामपुर के जिम्मेदार और उलेमाओं ने इस मसले को लेकर बैठकें की और यह फैसला लिया कि लोगों की भलाई और फिजूलखर्ची से बचने के लिए शादियों में नाच-गाना और डीजे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

साथ ही अगर कोई ऐसा करता है तो उलेमा निकाह नहीं पढ़ाएंगे. इसके अलावा उस परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा. इसके साथ ही ऐसी शादियों पर निगरानी रखने के लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया था अब ऐसा ही कुछ बुलंदशहर में भी देखने को मिल रहा है. यहां के मौलवियों ने घोषणा की है कि अगर गाना-बजाना और नाच-गाना होगा, तो वो निकाह नहीं करवाएंगे. काजी-ए-शहर मौलाना आरिफ काजमी ने आगे कहा कि शादियों में गाना और नाचना इस्लामी संस्कृति का हिस्सा नहीं है और इसमें काफी पैसा भी खर्च होता है.

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