Elizabeth Jones भारत में शीर्ष अमेरिकी राजनयिक हैं। उन्होंने विधानसभा चुनावों के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक घृणा आधारित भाषणों पर कहा कि “यह एक ऐसी बातचीत है जो हम अपने भारतीय सहयोगियों के साथ हमेशा करते रहे हैं।” उन्होंने कहा, कि अमेरिका पहले भी सांप्रदायिक बयानबाजी पर बात करता रहा है और भविष्य में भी करेगा। बता दें कि एलिजाबेथ जोन्स यूएस चार्ज डी अफेयर्स (US Charge d’ Affaires) यानी नियमित राजदूत या मंत्री के स्थान पर काम करने वाले राजनयिक की पोस्ट पर हैं। कौन हैं ये राजनयिक गौरतलब है कि Elizabeth Jones भारत में शीर्ष अमेरिकी राजनयिक हैं। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स में विधानसभा चुनावों के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक घृणा आधारित भाषणों पर कहा कि “यह एक ऐसी बातचीत है जो हम अपने भारतीय सहयोगियों के साथ हमेशा करते रहे हैं।” उन्होंने कहा, कि अमेरिका पहले भी सांप्रदायिक बयानबाजी पर बात करता रहा है और भविष्य में भी करेगा। बता दें कि एलिजाबेथ जोन्स यूएस चार्ज डी अफेयर्स (US Charge d’ Affaires) यानी नियमित राजदूत या मंत्री के स्थान पर काम करने वाले राजनयिक की पोस्ट पर हैं। कैसे मुद्दों पर बात करते हैं भारत और अमेरिकी अधिकारी भारत और अमेरिका के करीबी संबंधों की तरफ इशारा करते हुए राजनयिक एलिजाबेथ ने कहा, दोनों देशों का रिश्ता अहम है। ऐसे संबंध के लाभों में से एक यह है कि हम विभिन्न प्रकार के मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। इनमें आसान मुद्दे, कठिन मुद्दे सभी शामिल होते हैं। ऐसे मुद्दे भी होते हैं, जिन पर हम सहमत होते हैं, जिन मुद्दों पर हम सहमत नहीं होते, उन पर भी बात की जाती है। सांप्रदायिक बयानबाजी के बारे में उन्होंने आगे कहा, ‘हम लंबे समय से इस पर चर्चा कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।’ सख्ती से बोले शाह- हमने उन्हें सबक सिखाया गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनावी रैलियों को प्रमुखता से कवर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य गुजरात चुनावी गतिविधि के अलावा कुछ बीजेपी नेताओं के सांप्रदायिक बयानों के कारण भी सुर्खियों में है। 2002 के दंगों के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान 20 साल पहले के जख्म कुरेदने जैसा माना गया। गुजरात में शाह तत्कालीन गृह मंत्री भी रहे थे। उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों को जलाने के संदर्भ में कहा, “गुजरात में अराजकता के कारण विकास के लिए कोई जगह नहीं थी। 2002 में, उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल होने की कोशिश की… हमने उन्हें ऐसा सबक सिखाया, हमने उन्हें जेल में डाल दिया।”