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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रथम श्रेणी में प्रवेश की उम्र कम से कम छह वर्ष रखें : केंद्र

नई दिल्ली: स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए केंद्र ने एक बार फिर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह साल रखने का निर्देश दिया है. साथ ही सभी को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार तैयार स्कूली शिक्षा के नए ढांचे को अपनाने को कहा है। जिसमें तीन साल की उम्र से बच्चों को स्कूली व्यवस्था से जोड़ना है। जिसमें उन्हें पहले तीन साल बालवाटिका (प्ले स्कूल) से जोड़ा जाएगा। इसके बाद ही उन्हें प्रथम श्रेणी में प्रवेश दिया जाएगा।

प्रथम श्रेणी में प्रवेश की आयु में एक बड़ी राज्य-दर-राज्य असमानता है

शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ये निर्देश ऐसे समय में जारी किया है जब स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. साथ ही नया शैक्षणिक सत्र भी अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। नीति से पहले स्कूली शिक्षा को 10 प्लस 2 से 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 संरचना में बदल दिया गया है। इस संरचना के पहले पांच वर्षों को आधारभूत चरण कहा जाता है।

जिसमें प्रथम तीन वर्ष बालवाटिका के होंगे तथा प्रथम व द्वितीय श्रेणी सम्मिलित हैं। मंत्रालय का मानना ​​है कि राज्यों के बीच पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र में अंतर स्कूली शिक्षा में एक बड़ी असमानता है। इसका खामियाजा बच्चों को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने या प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के दौरान उठाना पड़ता है।

गौरतलब है कि पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र को लेकर हुए विवाद के बाद शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल ही इस संबंध में निर्देश जारी किया था. इसने सभी राज्यों को प्रथम श्रेणी में प्रवेश की आयु कम से कम छह वर्ष रखने को कहा। यह भी बताया गया कि उत्तर प्रदेश, बिहार सहित देश के लगभग 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रथम श्रेणी में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु पहले से ही छह वर्ष है, जबकि गुजरात, दिल्ली और केरल सहित लगभग 14 राज्यों में आयु पांच वर्ष है। पांच साल हो गए हैं

राज्य ने प्ले स्कूल के लिए शुरू किया डिप्लोमा कोर्स

स्कूली शिक्षा में प्ले स्कूलों को शामिल करने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्ले स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया है। इस संबंध में उन्होंने स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) और डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) के माध्यम से दो साल का डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का सुझाव दिया है. वर्तमान में विद्यालय स्तर पर विद्यालयों में खेल की शिक्षा दी जाती है।

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