फर्जी मार्कशीट के सहारे ज्योति ने पाई सरकारी नौकरी, पति आलोक मौर्य ने लगाया गंभीर आरोप

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इन दिनों बरेली की एसडीएम ज्योति मौर्य के पति आलोक मौर्य अपनी कथित बेवफाई को लेकर सुर्खियों में हैं। सिर्फ मीडिया ही नहीं… बल्कि सोशल मीडिया पर भी ज्योति मौर्य का नाम ट्रेंड कर रहा है. इस बीच एसडीएम ज्योति मौर्य और आलोक के बीच विवाद में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं.

इस मामले में अब खुलासा हुआ है कि एसडीएम ज्योति मौर्य ने अपनी पहली सरकारी नौकरी फर्जी तरीके से शिक्षा विभाग में हासिल की थी. ये खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि ज्योति मौर्य के पति आलोक मौर्य ने किया है. आलोक मौर्य ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को पत्र भी लिखा है.

इस पत्र में आलोक मौर्य ने आरोप लगाया है कि ज्योति मौर्य ने फर्जी मार्कशीट तैयार कर विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों की भर्ती में दी थी और इटावा के जसवन्त नगर स्थित प्राथमिक विद्यालय से प्रशिक्षण भी पूरा किया था. एनबीटी न्यूज के मुताबिक, आलोक ने बताया कि उनकी पत्नी ज्योति मौर्या प्रयागराज के देवप्रयाग झलवा की रहने वाली हैं।

ज्योति मौर्य की पहली सरकारी नौकरी प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका के रूप में थी। लेकिन, ज्योति ने अपनी पहली नौकरी में धोखा दिया। सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश को लिखे अपने पत्र में आलोक ने आरोप लगाया कि चीनी मिल बरेली की महाप्रबंधक ज्योति मौर्य ने 2011 विशिष्ट बीटीसी शिक्षक भर्ती में फर्जी मार्कशीट तैयार की थी।

आलोक का आरोप है कि बीटीसी शिक्षक भर्ती फॉर्म में उत्तीर्ण होने की तिथि सोमवार 27 जून 2011 लिखी गई थी। लेकिन, ज्योति की बीएड 2011 की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जारी मार्कशीट पर 25 जून 2012 लिखा है। आलोक का आरोप है कि ज्योति ने सरकारी नौकरी पाने के लिए धोखाधड़ी का सहारा लिया.

आलोक मौर्य ने शिकायती पत्र में लिखा है कि उस समय बीएड की परीक्षा हो रही थी और कुछ बीटीसी भर्ती के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि वर्ष 2011 थी. नौकरी पाने की जल्दी में ज्योत ने आवेदन पत्र में अंक खाली छोड़ दिया। करीब 1 साल बाद काउंसलिंग शुरू हुई. इस बीच हर अभ्यर्थी के हाथ में आवेदन पत्र दिया जाता है।

इसका फायदा उठाते हुए ज्योति मौर्य ने तुरंत अपने अंक रिक्त स्थान पर भर दिए और काउंसलिंग करा ली। हालांकि, कोर्ट ने भर्ती पर रोक लगा दी और मामला तीन साल तक कोर्ट में लंबित रहा। कोर्ट से फैसले के बाद दोबारा ऑनलाइन आवेदन मांगे गए। लेकिन, एक अनिवार्य शर्त थी कि वही अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन करेंगे जिन्होंने 2011 में आवेदन किया था।

ज्योति ने भी इसका फायदा उठाया और फर्जी बीएड 2011 की मार्कशीट लगा दी। आलोक ने बताया कि उसे बीएड 2012 की मूल मार्कशीट मिल गई है। इस तरह ज्योति मौर्या को धोखे से मिली पहली नौकरी. इतना ही नहीं आलोक ने बताया कि ज्योति मौर्य ने अपने आवेदन के साथ बीएड मार्कशीट की फोटोस्टेट भी लगाई है.

आलोक ने बताया कि इन फोटोस्टेट में ज्योति मौर्य की पासिंग डेट 25 जून 2012 लिखी हुई थी. पास होने की तारीख 27 जून 2011 लिखी बीएड की फर्जी मार्कशीट की फोटोस्टेट भी है। स्कूल रजिस्टर, बैंक पासबुक और शपथ पत्र की फोटोस्टेट इसके साथ संलग्न हैं।

याचिका में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से ज्योति मौर्य की बीएड मार्कशीट की जांच कर उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की गई है. लेकिन, अभी तक आलोक मौर्य के आवेदन पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. इसलिए इस मामले में अभी तक एसडीएम ज्योति मौर्य की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।

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