यह चुनावी बजट है, इसमें कोई जनकल्याण की योजना नहीं: अखिलेश यादव

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लखनऊ।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने केन्द्र सरकार के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह चुनावी बजट है, इसमें कोई जनकल्याण की योजना नहीं। ये सिर्फ इम्पोर्ट को बढ़ावा देकर पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने का बजट है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए सरकार ने कोई घोषणा नहीं की, स्किल डेवलपमेंट कैसे होगा? जब उत्पादन ही नहीं बढ़ेगा तो रोजगार कहां से देंगे? स्मार्ट सिटी का कोई जिक्र नहीं है। उत्तर प्रदेश में नए एक्सप्रेस-वे के लिए कोई बजट नहीं दिया। नए पाॅवर प्लांट लगाने की कोई घोषणा नहीं हुई।

ओडीओपी की बात सरकार ने फिर इस बजट में की लेकिन पहले ही ये योजना कितना जमीन पर उतरी इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। किसानों के लिए कोई नई मंडी बनाने, एमएसपी आदि के लिए घोषणा नहीं की गयी। पूरे बजट में वित्त मंत्री ने जीएसटी पर कोई चर्चा नहीं की, जिससे व्यापारी वर्ग सबसे अधिक परेशान है।

मेडिकल क्षेत्र में विकास की बात कर रहे हैं लेकिन मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था ही बर्बाद है। यूपी में गोरखपुर जैसे जिलों में बने एम्स बंद पड़े हैं।

सरकार नई एम्बुलेंस की बात कर रही लेकिन अस्पतालों में डाॅक्टर, इलाज ही नहीं तो एम्बुलेंस का क्या करेंगे? ऊपर से इन लोगों ने समाजवादी एम्बुलेंस सेवा को भी बर्बाद किया।

यदि अर्थव्यवस्था और प्रति व्यक्ति आय इतनी ही बेहतर हुई तो किसानों की आत्महत्या क्यूं बढ़ रही है? कर्ज लेने वाले मध्यम वर्ग को आय कर में कोई बड़ी राहत का एलान नहीं।

नमामि गंगे योजना पर कोई घोषणा नहीं, काली नदी, वरूणा नदी, हिंडन नदी, यमुना नदी आज भी गंदी है।

दस वर्ष की सरकार के अंतिम बजट में गरीबों, किसानों और मजदूरों के लिए कुछ नहीं है। गेंहू सस्ता है, आटा मंहगा है। मंहगाई चरम पर है। 23 करोड़ लोग बेकार हैं। बेरोजगारी बेलगाम है। गरीबों को अपमानित किया जा रहा है।

केन्द्रीय बजट से किसान को कुछ नहीं मिला। प्रधानमंत्री जी ने किसान की आय दुगनी करने और 2 करोड़ नौकरियां देने की झूठी दिलासा दिलाई थी। एक लाख करोड़ रूपए पिछले बजट में कृषि मंडियों के लिए रखे गए थे लेकिन एक भी नई मण्डी नहीं बन सकी। खेती में कोई सुधार नहीं हुआ। एक भी नया सैनिक स्कूल नहीं बना।

युवाओं को उम्मीद थी कि इस बजट में रोजगार पर बात होगी। परन्तु उन्हें निराशा मिली। 47 लाख कुशल युवाओं की कहीं मांग नहीं रह गई है।

एक ओर चीन सीमा पर तनाव बढ़ता जा रहा है परन्तु भाजपा सरकार में चीन से आयात बढ़ता जा रहा है। चीन की झालरों की चमक में भाजपा सरकार प्रदेश में ग्लोबल समिट करा रही है। चीनी झालरों से हर गली-नुक्कड़ को रंगीन करने वाली भाजपा ने आयात पर छूट दे रखी है।

सच तो यह है कि भाजपा सरकार देश को आत्मनिर्भर नहीं, आयात निर्भर बना रही है। देश पर कर्ज बढ़ रहा है। आयात पर निर्भरता का बढ़ना चिंताजनक है। भाजपा सरकार में सन् 2024 के पहले आखिरी बजट भी मृग मरीचिका ही है।

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