अंतरिक्ष से हो सकेगी आने वाली सुनामी की पहचान!

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न्यूयॉ र्क: अमेरि का में जेट प्रो पल्शन लेबोरेटरी के वैज्ञा नि क एक नई नि गरानी प्रणा ली का परीक्षण कर रहे हैं जो धरती के ऊपर सेसुना मी का पता लगा सकती है। वैज्ञा नि क इसेगा र्जि यन (Gurdian) कह रहे हैं। डब्ड GNSS अपर एटमॉ स्फेरि क रि यल-टा इम डि जा स्टर इंफॉ र्मेशन एंडएं अलर्ट नेटवर्क या नी गा र्जि यन एक प्रा यो गि क नि गरानी
प्रणा ली है, जो कुछ इंच तक वा स्तवि क समय की स्थि ति और सटी कता प्रदा न करने के लि ए पृथ्वी की परि क्रमा करने वा ले जी पी एस और अन्य वेफा इंडिं ग उपग्रहों के डेटा का इस्तेमा ल करती है। इंडि या टुडे की रि पोर्ट के अनुसार टी म फि लहा ल प्रशां त महा सागर के भूगर्भी य रूप से सक्रि य ‘रिं ग ऑफ फा यर’ क्षेत्र में इसका परीक्षण कर रही है। दरअसल, 1900 और 2015 के बी च 750 सेअधि क पुष्ट सुना मी में से लगभग 78 प्रति शत इसी क्षेत्र में आई थीं।

सुना मी क्या हो ती है?
सुना मी बड़ी समुद्री लहरेंहैं जो आमतौ र पर पा नी के नी चे भूकंप, ज्वा ला मुखी वि स्फो ट या भूस्खलन आदि के का रण हो ती हैं। जब समुद्र के नी चे भूकंप आता है, तो यह शक्ति शा ली तरंगों की एक श्रृंखला उत्पन्न करता है जो स्रो त सेबाहर की ओर जा ती हैं। ये लहरेंतेज गति सेपूरेमहा सागर में या त्रा कर सकती हैं, जो अक्सर 800 कि लो मी टर प्रति घंटे से अधि क की भी हो ती हैं। इसका भया नक असर कई बार तटों पर भी देखा जा ता है। ऐसेमें पूर्व चेता वनी प्रणा ली को बेहतर और इसे बढ़ा ने के लि ए इसेवि कसि त कि या जा रहा है। इससेपृथ्वी पर कहीं भी सुना मी उत्पन्न हो ने पर इसका जल्द पता लगा या जा सकेगा ।

यह प्रणा ली वि स्था पि त हवा पर नजर रखती है और सुना मी आने पर आयनमंडल में फैल जा ने वा ली आवेशि त कण पर नजर रखती है। दरअसल सुना मी के दौ रान, समुद्र की सतह का एक बड़ा हि स्सा एकसमा न रूप से ऊपर उठ सकता है और फि र अचा नक गि र सकता है,है ऐसेइसके ऊपर हवा की बड़ी मा त्रा वि स्था पि त हो ती है। वि स्था पि त हवा कम आवृत्ति वा ली ध्वनि और गुरुत्व तरंगों के रूप में सभी दि शा ओं में फैल जा ती है। ना सा के अनुसार आवेशि त कणों के साथ दबाव और तरंगों का टकराव पा स के नौ वहन उपग्रहों से संकेतों को बा धि त सकता है। ऐसेमें इन मा मूली बदला वों को खतरेकी घंटी के रूप में इस्तेमा ल कि या जा सकता है। एक जेपी एल वैज्ञा नि क लि यो मा र्टि यर ने कहा , ‘इसेएक त्रुटि के रूप में ठी क करने के बजा य, हम इसे प्रा कृति क खतरों को खोजने के लि ए डेटा के रूप में उपयो ग करते हैं।’

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