भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल-1 के बारे में, इसरो के लिए कितना अहम है ये मिशन?

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भारत ने चंद्रयान 3 को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रच दिया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने के बाद अब इसरो की नजर सूर्य की ओर है। इसरो जल्द ही अपना पहला सोलर मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च करने जा रहा है।

क्या है आदित्य एल-1 मिशन?
आदित्य एल-1 मिशम सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष-आधारित मिशन होगा। वह करीब 5 साल तक सूर्य का अध्ययन करेंगे। इसरो के मुताबिक, मिशन में 7 तरह के वैज्ञानिक पेलोड होंगे। इसकी मदद से विभिन्न तरीकों से सूर्य का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।

आदित्य एल-1 कहाँ स्थापित किया जाएगा?
आदित्य एल-1 मिशन को पृथ्वी और सूर्य के बीच निचली पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह स्थान बिना किसी बाधा के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयुक्त माना जाता है। यह जगह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। इसरो के मुताबिक, इस मिशन से सूर्य की गतिविधियों को समझने में मदद मिलेगी। इससे अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में वास्तविक समय की जानकारी एकत्र की जा सकेगी।

इसरो का पूरा ध्यान आदित्य एल-1 मिशन पर होगा।आदित्य
एल-1 में स्थापित किए जाने वाले 7 पेलोड सूर्य के प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी कोरोना परत की निगरानी करेंगे। इसके लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। इनमें से चार पेलोड सीधे सूर्य की ओर देखेंगे। बाकी तीन आसपास के क्षेत्र में मौजूद कणों और अन्य वस्तुओं के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे।

सूर्य के कई रहस्य खुलेंगे,
आदित्य एल-1 पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, सौर भड़कने से पहले और बाद, इसकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता आदि पर बहुमूल्य वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करेगा।

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